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क्या आप भी रोज ले रहे हैं Vitamin D कैप्सूल? ये गलती ना करें!

आजकल हर दूसरा व्यक्ति थकान, कमजोरी या हड्डियों में दर्द महसूस करते ही विटामिन D सप्लीमेंट लेना शुरू कर देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं बिना जांच और डॉक्टर की सलाह के रोजाना विटामिन D की गोलियां लेना आपके शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

विटामिन D की जरूरत क्यों होती है?
विटामिन D को “सनशाइन विटामिन” कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर को सूरज की रोशनी से मिलता है, यह हड्डियों को मजबूत, कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है और इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखता है. लेकिन, जब इसकी मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है, तो यही विटामिन शरीर के लिए ज़हर बन सकता है.

बिना जांच के विटामिन D लेना क्यों है खतरनाक?
डॉक्टरों के अनुसार, हर व्यक्ति के शरीर में विटामिन D का स्तर अलग होता है, अगर आप बिना टेस्ट के सप्लीमेंट लेना शुरू कर देते हैं, तो शरीर में विटामिन D टॉक्सिसिटी (Vitamin D Toxicity) हो सकती है, जिससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे: किडनी को नुकसान, ब्लड में कैल्शियम की मात्रा बढ़ना (Hypercalcemia), मतली, उल्टी और कमजोरी, दिल की धड़कनें अनियमित होना, हड्डियों में दर्द और थकान.

कब कराएं जांच और कितना लें सप्लीमेंट?
विटामिन D की जांच 25-Hydroxy Vitamin D टेस्ट से की जाती है, डॉक्टर के अनुसार, सामान्य स्तर 30 से 50 ng/mL के बीच होना चाहिए. अगर स्तर कम हो तो ही सप्लीमेंट लिया जाए — वो भी डॉक्टर की निगरानी में, खुद से रोज गोलियां लेना बेहद नुकसानदायक हो सकता है.

प्राकृतिक तरीके से पूरा करें Vitamin D की कमी
सुबह की धूप में 15-20 मिनट बिताएं, आहार में शामिल करें — अंडे की जर्दी, दूध, मछली, और मशरूम. फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं ताकि शरीर में विटामिन का अवशोषण बेहतर हो. डॉक्टर की सलाह से ही सप्लीमेंट लें, खुद से नहीं.

एक्सपर्ट की राय
विटामिन D एक जरूरी पोषक तत्व है, लेकिन इसकी अधिकता शरीर में कैल्शियम जमा कर देती है, इससे किडनी और दिल दोनों पर असर पड़ता है. इसलिए जांच के बाद ही दवा लें.

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