पटना में अपराध जगत का नया नाम बन चुका है – “महाकाल गैंग”. यह गिरोह पिछले कई वर्षों से सक्रिय है और इसका नेटवर्क पूर्वी से लेकर पश्चिमी पटना तक फैला हुआ है. इस गैंग की खासियत यह है कि इसमें शामिल होने के लिए अपराधियों को 1000 से 5000 रुपये तक की एंट्री फीस देनी पड़ती है. बदले में गैंग अपने सदस्यों को “प्रोटेक्शन गारंटी” देता है — यानी अगर कोई परेशानी हो, तो एक कॉल पर 100 से 200 लड़के मौके पर पहुंच जाते हैं.
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गैंग की औसत उम्र 20 से 25 साल के बीच है. युवा अपराधी जमीन कब्जा, रंगदारी, मारपीट और सुपारी हत्या तक में शामिल रहते हैं. पुलिस ने हाल में धनरूआ इलाके से 17-18 सदस्यों को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया है. पूछताछ में खुलासा हुआ कि गैंग पिछले 3 साल से संगठित तरीके से काम कर रहा है.
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महाकाल गैंग की शुरुआत 2016-17 में बिहटा बसौढा के अमित सिंह ने की थी, जिसने पहली हत्या बिहटा के व्यवसायी निर्भय सिंह की की थी. बाद में 2022 में अमित सिंह की हत्या देवघर कोर्ट में पेशी के दौरान कर दी गई. इसके बाद छोटे सरकार ने गैंग की कमान संभाली, जिसकी हत्या भी 2023 में दानापुर कोर्ट में कर दी गई.
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पूर्वी SP परिचय कुमार के अनुसार, पुलिस ने गैंग की कमर तोड़ दी है. इसके मुख्य सरगना नीतीश जेल में है, जबकि बुलेट नाम का बदमाश अब भी फरार है. गैंग सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है, जहां वे दबंगई भरे फोटो-वीडियो पोस्ट कर फॉलोअर्स बढ़ाते हैं.
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अब पुलिस इन अपराधियों की अवैध संपत्तियों को जब्त करने की तैयारी में जुट गई है.


























