कल भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा. भाई दूज के दिन चित्रगुप्त पूजा का भी विधान सनातन धर्म शास्त्रों में किया गया है. चित्रगुप्त जी मृत्यु के देवता, यमराज जी के सहायक के रूप में जाने जाते हैं. माना जाता है कि चित्रगुप्त जी के पास ही पृथ्वी पर जन्म लेने वाले समस्त प्राणियों का लेखा-जोखा होता है. हर साल कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाने वाली चित्रगुप्त पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस दिन भक्तजन चित्रगुप्त देव की पूजा करते हैं, जिन्हें यमराज के लेखपाल और पाप-पुण्य के लेखक के रूप में जाना जाता है.
चित्रगुप्त देव कौन हैं?
चित्रगुप्त देव को यमराज के सचिव के रूप में माना जाता है। वे हर व्यक्ति के सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं — अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब उनकी किताब में दर्ज होता है, यही कारण है कि भक्तजन उन्हें सत्य, न्याय और कर्म का प्रतीक मानते हैं.
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
कर्मफल का लेखा-जोखा: इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के अच्छे कर्मों की बढ़ती प्रशंसा होती है और बुरे कर्मों का प्रायश्चित आसान होता है.
पापों से मुक्ति: चित्रगुप्त देव की आराधना करने से बुरे कर्मों और पापों से मुक्ति मिलती है.
सफलता और समृद्धि: पूजा से जीवन में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि आती है.
ज्ञान और विवेक: चित्रगुप्त देव ज्ञान और विवेक के देवता भी माने जाते हैं.
पूजा का सही तरीका
सुबह स्नान करके पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखें, चित्रगुप्त की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, उनके सामने दीपक, अक्षत (चावल), फल और पंचामृत अर्पित करें, भजन, आरती और मंत्र “ॐ यमाय नमः” का जाप करें, पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और दिनभर सच्चे और पुण्य कर्मों का पालन करें.
चित्रगुप्त पूजा का रहस्य
पुराणों के अनुसार, चित्रगुप्त देव हमेशा सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं, इस दिन उनकी भक्ति करने से मानसिक शांति, पापों से मुक्ति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. इसलिए भक्तजन इस दिन विशेष रूप से सतर्कता और श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं.
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