बरबीघा विधानसभा क्षेत्र में शुक्रवार को राजनीतिक हलचल अपने चरम पर पहुंच गई. कांग्रेस के उम्मीदवार त्रिशूलधारी सिंह ने भारी जनसमर्थन के बीच अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन स्थल पर समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा, और पूरा इलाका उनके स्वागत के लिए जुटे लोगों की आवाज़ों से गूंज उठा.
त्रिशूलधारी सिंह 2010 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. उस समय उन्होंने लगभग 18,000 वोट हासिल किए थे, लेकिन जीत उनके हाथ नहीं आई. इस बार उन्होंने कांग्रेस का सिम्बल थामा और अपने तेवर और दृढ़ संकल्प के साथ मैदान में कदम रखा. उनके साथ उनके पुत्र रौशन कुमार, जो कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और बरबीघा नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं, मौजूद रहे. इसके अलावा क्षेत्रीय कार्यकर्ता, सामाजिक नेता और कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी नामांकन के मौके पर उपस्थित रहे.
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त्रिशूलधारी सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य “बरबीघा बचाओ, बाहरी हटाओ” है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बरबीघा में स्थानीय उम्मीदवारों को हमेशा नजरअंदाज किया गया है. उनका कहना था कि यहां लगभग 2.36 लाख मतदाता हैं, लेकिन हर बार बाहरी प्रत्याशी को ही टिकट दिया गया. इस बार वे जनता के भरोसे पर खड़े हैं और स्थानीय प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना चाहते हैं.
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इसके अलावा, त्रिशूलधारी ने विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और सिंचाई पर भी अपने फोकस का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जनता बदलाव चाहती है और उनका चुनावी अभियान इसी बदलाव की उम्मीद को दर्शाता है. उनका यह भी मानना है कि उनके राजनीतिक अनुभव और जमीन से जुड़े जनाधार के चलते कांग्रेस के लिए यह सीट जीतने में निर्णायक साबित हो सकती है.
नामांकन के दौरान समर्थकों का उत्साह देखते ही बन रहा था. लोग हाथ में तख्तियाँ और झंडे लिए, “त्रिशूलधारी जिंदाबाद” और “बरबीघा हमारा है” के नारे लगा रहे थे. समर्थकों ने दावा किया कि इस बार स्थानीय जनता पूरी तरह से उनके साथ है और उनके नामांकन ने बरबीघा की राजनीति में नई ऊर्जा भर दी है.
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राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि त्रिशूलधारी सिंह की यह रणनीति, स्थानीय मुद्दों और जनता की भावनाओं को मुख्य आधार बनाकर, कांग्रेस के लिए एक मजबूत संदेश दे रही है. 2010 की हार के बावजूद उनका लगातार जनसंपर्क और सामाजिक सक्रियता अब उन्हें चुनाव में एक गंभीर दावेदार के रूप में प्रस्तुत करती है.
बरबीघा के मतदाता इस चुनाव को स्थानीय प्रतिनिधित्व और विकास के नजरिए से देख रहे हैं. नामांकन के इस दिन की तैयारियाँ, समर्थकों का उत्साह और त्रिशूलधारी सिंह की स्पष्ट रणनीति इस बात का संकेत दे रही है कि यह चुनाव केवल पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ और स्थानीय मुद्दों के बीच भी निर्णायक होगा.
बरबीघा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में यह नामांकन एक नया मोड़ लाता दिख रहा है, और अब सभी की निगाहें 2025 के विधानसभा चुनाव पर टिक गई हैं, जहां परिणाम इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा तय करेंगे.