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Diwali 2025: जानिए क्यों मनाते हैं छोटी और बड़ी दिवाली अलग-अलग दिन

हर साल पूरे देश में दीपावली का पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अक्सर लोग छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली में अंतर को लेकर भ्रमित रहते हैं. इस वर्ष Diwali 2025 में भी लोगों के मन में यही सवाल है – छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली अलग-अलग दिन क्यों मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है.

छोटी दिवाली (वसुबरस/नरक चतुर्दशी)
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या वसुबरस भी कहा जाता है, दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है. इसे दुष्टों पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन घर की सफाई, दीपक जलाना और नरकासुर वध की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध इसी दिन किया था. छोटी दिवाली का महत्व असुरों पर अच्छाई की जीत और सकारात्मक ऊर्जा लाने में है.

बड़ी दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
बड़ी दिवाली, जिसे लक्ष्मी पूजन दिवस कहा जाता है, मुख्य पर्व है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा की जाती है. घर और कार्यालयों में दीपक जलाए जाते हैं, नये कपड़े पहने जाते हैं और खुशियों और समृद्धि की कामना की जाती है,
यह दिन धन, खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है.इस दिन व्यापारियों के लिए नया लेखा-जोखा और बही-खाता खोलने की परंपरा भी है.

मुख्य अंतर
तिथि: छोटी दिवाली – दीपावली से एक दिन पहले; बड़ी दिवाली – दीपावली का मुख्य दिन.
उद्देश्य: छोटी दिवाली – बुराई पर अच्छाई की जीत; बड़ी दिवाली – लक्ष्मी पूजन और धन व समृद्धि.
पारंपरिक पूजा: छोटी दिवाली – नरकासुर वध की पूजा; बड़ी दिवाली – लक्ष्मी और कुबेर पूजा.
लोकप्रिय नाम: छोटी दिवाली – नरक चतुर्दशी / वसुबरस; बड़ी दिवाली – लक्ष्मी पूजा दिवस.

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